अगर आप भी नहीं भरते हैं GST रिटर्न तो हो जाए सावधान!

Wooden letters GST and money coin stack on red table background, financial concept

सरकार के इस कदम का मकसद उन लोगों को पकड़ना है जो सही तरीके से GST ना चुकाकर टैक्स चोरी करते हैं। इससे वो लोग भी पकड़े जाएंगे जो अलग-अलग रेगुलेटर्स को अलग-अलग जानकारी देते हैं

 

GST डिपार्टमेंट अब टैक्स चोरी करने वाले लोगों को पकड़ने के लिए नए तरीके आजमा रहा है। GST विभाग अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से मुहैया डेटा और मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (MCA) के डेटा से करेगा। MCA जिन LLP और कंपनियों का संचालन करता है उन कंपनियों से जुड़ी जानकारी वह GST विभाग से शेयर करेगा। GST के तहत करीब 1.3 करोड़ रजिस्टर्ड बिजनेस और सर्विस प्रोवाइडर्स हैं। कोरोनावायरस महामारी के बाद इकोनॉमी रिकवरी हुई है। इसी का नतीजा है कि पिछले 12 महीनों में GST से होने वाला टैक्स कलेक्शन मंथली 1.4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टैक्सपेयर्स जो रिटर्न फाइल करेंगे उसका डेटा GST डिपार्टमेंट मैच करके देखेगा। इसके बाद MCA के तहत आने वाली कंपनियों और LLP के GST रिटर्न के साथ उनके फाइनेंशियल डिटेल को भी मिलाकर देखा जाएगा।

सरकार के इन फैसलों का मकसद टैक्सचोरों पर लगाम लगाना है। सरकार अलग-अलग टैक्स और रेगुलेटरी डेटाबेस के जरिए टैक्सपेयर्स का पूरा प्रोफाइल बना रही है ताकि उनके हर फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन, रजिस्ट्रेशन, डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स, रिटर्न और टैक्स चोरी को पकड़ने में सहूलियत हो।

इसके साथ ही फ्रॉड एनालिटिक्स के जरिए टैक्स चोरी पकड़ा जा सके। पिछले कुछ दिनों में GST विभाग ने कर चोरी के कई मामले पकड़े हैं। इसके बाद कर चोरी करने वालों की गिरफ्तारी होती है या केस चलता है। आने वाले साल में टेक्नोलॉजी और डेटा एनालिटिक्स का बेहतर इस्तेमाल करते हुए टैक्स चोरी का बेहतर ढंग से पता लगाने की उम्मीद है।

जिन LLP (limited liability partnership) और कंपनियों का संचालन MCA करती है उनकी कंपनियों की जानकारी GST विभाग के साथ शेयर की जाएगी। बता दें कि करीब 1.3 करोड़ बिजनेस और सर्विस प्रोवाइडर्स GST के तहत रजिस्टर्ड हैं। कोरोना महामारी के बाद इकॉनमी में सुधार देखने को मिला है, जिसके बाद बीते 12 महीनों में GST के तहत होने वाला मंथली टैक्स कलेक्शन 1.4 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ITR फाइल करने वालों का डेटा GST विभाग मैच करेगा और इसके बाद MCA द्वारा संचालित कंपनियां और LLP के GST रिटर्न के साथ भी फाइनेंशियल डिटेल्स भी मिलाई जाएंगी।

बता दें कि ऐसा करने के पीछे का कारण उन लोगों को पकड़ना है जो GST न चुका कर टैक्स चोरी करते हैं। इसके अलावा, वो लोग भी पकड़े जाएंगे जो लोग अलग-अलग रेगुलेटर्स को अलग जानकारियां देते हैं।

जिन लोगों को गलत रिटर्न फाइल करने का नोटिस मिलता है तो उन्हें इसका जबाव देना होगा।

खबरों के मुताबिक, GST विभाग टैक्स डिफॉल्टर्स को पकड़ने के लिए डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर रहा है। इसके साथ ही विभाग रजिस्ट्रेशन एप्लिकेशन की जांच भी बारीकी से कर रहा है। अगर कोई नया बिजनेस शुरू कर रहा है तो विभाग रजिस्ट्रेशन के लिए ज्यादा जानकारी मांग रहा है।

टैक्सचोरों पर लगाम लगाने के लिए सरकार अलग-अलग टैक्स और रेगुलेटरी डेटाबेस के जरिए करदाताओं का पूरा प्रोफाइल बना रही है ताकि अगर कोई टैक्स चोरी करता है तो वो पकड़ी जा सके।

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